ल्यूकेमिया के खिलाफ असरदार है कम  कैलोरी वाला भोजन

ल्यूकेमिया के खिलाफ असरदार है कम  कैलोरी वाला भोजन

सेहतराग टीम

व्यक्ति का खानपान और उसके आसपास का वातावरण उसके स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। एक शोध के अनुसार ब्लड कैंसर यानि ल्यूकेमिया से ग्रस्त मोटे बच्चे या किशोर जिनका कीमोथेरेपी इलाज चल रहा होता है उनमें  दुबले -पतले बच्चों की तुलना में रोग से लड़ने की क्षमता कम  होती है। साथ ही अध्ययन में यह भी पाया गया की मोटे बच्चे या किशोरों में दुबले- पतले बच्चों की तुलना में इलाज के बाद रोग  के दोबारा होने की संभावना 50 फ़ीसदी ज्यादा होती है।

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इस पर आधारित यूसीएलए तथा चिल्ड्रन हॉस्पिटल लॉस एंजेलिस के शोधकर्ताओं के अनुसार खानपान में बदलाव और व्यायाम इस प्रकार के हालात से बचाने में मददगार साबित होता है। और खतरनाक लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के मामले में रोगी को बचाने में मदद करता है, अध्ययन कर्ताओं के अनुसार जिन रोगियों ने डायग्नोसिस के तुरंत बाद अपने कैलोरी इनटेक को 10 फीसद या उससे कम किया  और  व्यायाम का अनुपालन किया उनमें एक महीने की कीमोथेरेपी के बाद व्यापक बदलाव दिखाई दिए,

मोटे लोगों की बोन मैरो में इस प्रकार के कैंसर सेल ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं जो उनके जीवन के लिए नुकसानदायक और और बीमारी को फिर से होने का खतरा बढा देते हैं अतः उन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट एवं इम्यूनोथेरेपी जैसे प्रभावी उपचार की जरूरत होती है।

यूसीएलए के मेंटल चिल्ड्रन हॉस्पिटल पीडियाट्रिक इंडोक्राइनोलॉजी के डॉक्टर स्टीवन मिट्टलमैन के अनुसार हल्के डायट और व्यायाम का असर इस तरह रहा कि बोन मैरो में ल्यूकेमिया का प्रभाव कम देखा गया।

अध्ययन में फिजियोथेरेपिस्टों और आहार विशेषज्ञों बताया कि 40 बच्चों और किशोरों कि 28 दिनों की दिनचर्या में मोटे और दुबले -पतले बच्चों के लिए कैलोरी इनटेक 10 फ़ीसदी तक कम किया गया एवं व्यायाम के लिए प्रति सप्ताह 200 मिनट का समय रखा गया और पाया गया कि मोटे बच्चों फैट गेन कम होने के साथ ही इंसुलिन और एडीपोनेक्टिन हार्मोन भी बढ़ा जो ,ग्लूकोस को नियंत्रित करने था तथा फैटी एसिड को तोड़ने में सहायक होता है साथ ही बोन मैरो में ल्यूकेमिया सेल्स का अवशिष्ट 70 फ़ीसदी तक पाया गया। मिट्टलमैन ने कहा इस प्रयोग से कीमोथेरेपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स को कम बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

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